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सरकारी कर्मचारियों की जान कैदी से भी सस्ती

August 15, 2023, 7:02 PM
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चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की मौत पर सरकार देती है केवल सवा लाख……

सरकार की नजर में शासकीय कर्मचारियों की जान सबसे सस्ती है। यही कारण है कि हर महीने वेतन में से बीमा की तय राशि काटने के बावजूद उनकी आकस्मिक मृत्यु हो जाने पर सबसे कम राशि दी जाती है। प्रथम श्रेणी अधिकारी की मौत होने पर 7.50 लाख, द्वितीय श्रेणी अधिकारी की मौत पर 5 लाख तृतीय श्रेणी कर्मचारी की मौत पर 2.50 लाख और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के निधन पर केवल 1.25 लाख रुपए शासन द्वारा उसके परिजनों को दिए जाते हैं। वहीं रेल यात्री की मौत हो जाए तो 8 लाख दिए जाते हैं। बस दुर्घटना, आगजनी होने पर सरकार द्वारा 10 लाख, बिजली का करंट, सांप के काटने या कहीं डूबने से मृत्यु होने पर 4 लाख सहायता राशि दी जाती है।

प्रति माह वेतन से कटते हैं इतने रुपए

-मप्र में कुल नियमित कर्मचारियों की संख्या 5 लाख 87 हजार 425

-प्रथम श्रेणी अधिकारी 600

-द्वितीय श्रेणी अधिकारी 400

-तृतीय श्रेणी कर्मचारी 200

-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 100

समय के साथ होना चाहिए बदलाव

कर्मचारी नेता रमेश राठौर के अनुसार शासकीय कर्मचारियों से संबंधित जो प्रावधान हैं उनमें सालों तक कोई बदलाव नहीं किया जाता है। इससे विसंगति पैदा होती है। जबकि इसमें जरूरत के अनुसार लगातार बदलाव होते रहना चाहिए। बीमा की राशि वेतन से कटने के बावजूद आकस्मिक मौत होने पर उन्हें बहुत कम राशि दी जा रही है। इससे उनके परिजनों को कोई लाभ नहीं होता, जबकि शासकीय कर्मचारी पूरी जिंदगी सेवा करता है।

हर महीने कटता है 12 करोड़ बीमा अंशदान

प्रदेश के शासकीय कर्मचारी हर महीने अपने वेतन से बीमा अंशदान 12 करोड़ 18 लाख 47,900 रुपए जमा करते हैं। उसके बाद मृत्यु होने पर जो राशि दी जाती है वह बहुत ही कम है। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी का कहना है कि आम आदमी जो सरकारी सेवक नहीं है बीमा का नहीं देते लेकिन किसी भी घटना में उनकी मौत हो जाती है तो उन्हें लाखों रुपए का भुगतान किया जाता है। इसलिए मुख्यमंत्री से मांग की है कि शासकीय सेवक के मरने पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 5 लाख तृतीय श्रेणी कर्मचारी को 10 लाख, द्वितीय श्रेणी अधिकारी को 15 लाख और प्रथम श्रेणी अधिकारी को 20 लाख रुपए दिए जाने चाहिए।

     
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